Most romantic love story in Hindi (‘लक बाय चांस’) |
Most romantic love story
in Hindi
‘लक बाय चांस’
अनिल – (शराब के नशे में
लडखडाते लहजे में) आज हमारी सुहागरात है. और तू सो रही हो?
सेज पर सो रही सिमरन जग
जाती है और उठकर बैठ जाती है.
सिमरन – आप अन्दर कब आये?
सिमरन की नजर दिवार पर लगे
घडी पर पड़ती है. घडी में रात के दो बज रहे होते हैं.
सिमरन – सॉरी... आप ने इतनी
देर कर दी इसलिए मेरी आँख लग गयी.
अनिल – चुपकर. मेरे दफ्तर
के दोस्तों ने शादी की ख़ुशी में पार्टी मांगी थी. तो उनका साथ देना होगा न. वैसे भी
अपनी शादी ‘लक बाय चांस’ हुयी है.
अनिल लडखडाते सिमरन के बगल
बिस्तर पर बैठ जाता है. अनिल सिमरन के ओंठो के पास अपने ओंठ ले जाता है.
सिमरन – आपने शराब पी है?
अनिल – हाँ तो?
सिमरन – हमारे घर वालो को
पता होता तो ये शादी कभी न करते. ख़ास कर बाबूजी को शराबी लोग बिलकुल पसंद नहीं.
अनिल – ठीक है... ठीक है...
पहले दिन से मुझे उपदेश देने लगी. तेरे बाबूजी को क्या पता. जिंदगी भर मास्टरी की है.
हम जैसे पढ़े-लिखे और शहरी लोगो के बारे में क्या जानते हैं. चल मेरे जूते निकाल.
अनिल लडखडाते फ़र्स पर बैठ
जाता है.
सिमरन – अरे अरे... आप जमीन
पर कहाँ बैठ रहे है. रुकिए आप को मैं सहारा देती हूँ. हाँ अब आप आराम से बेड पर
बैठ जाए.
अनिल – जूते तो निकाल दिए.
मेरे सॉक्स कौन निकालेगा? चल अब मेरे पास आ.
सिमरन – आप के मुँह से शराब
की बू आ रही है. मैं यहीं फ़र्स पर लेट जाती हूँ.
अनिल – तू तू... मुझे
बेवकूफ समझी है. बिना कुछ किये तू फ़र्स पर लेट जायेगी. एक मिनट रुक... (अनिल बेड
से उठने की कोशिश करता है लेकिन दोबारा बेड पर ही लडखडा कर गिर जाता है.)
अनिल बेड पर गिरते ही सो
जाता है और सिमरन फ़र्स पर चादर बिछाकर लेट जाती है.
-----
मम्मी अनिल और सिमरन के
बेडरूम के बाहर से आवाज़ देती है.
मम्मी – अनिल बेटा... अनिल
बेटा...
फ़र्स पर बिछे चादर पर लेटी
सिमरन के चेहरे पर सूरज की रोशनी पड़ रही होती है. सिमरन धीरे-धीरे जगते हुए अपनी
पलकें खोलती है. सिमरन की नजर सामने दिवार पर लगे घडी पर पड़ती है. घडी में दिन के
दस बज रहे होते हैं. अनिल बिस्तर पर सो रहा होता है और सिमरन बिस्तर से उठ दरवाजा जाकर
खोलती है.
मम्मी – बेटा दिन के दस बज
गाये हैं अभी तक तुम दोनों सो रहे हो. अनिल भी सो रहा है.
सिमरन – जी माँ जी.
मम्मी – रुक मैं उसे जगाती
हूँ. अनिल बेटा.... अनिल...
अनिल नींद से जग जाता है.
अनिल – हाँ माँ क्या बात
है?
मम्मी – बेटा आज बनारस से
बहुत बड़े ज्योतषी बाबा हमारे शहर के मंदिर में आने वाले है. बेटा ओ जिस किसी की
हथेली देख भर ले उसके जीवन के सारे राज पल भर में बता देते हैं. बेटा कहीं तेरे ऊपर
भी उनका कोई चमत्कार चल जाए और फिर तो तेरी किस्मत बदल जायेगी.
अनिल – क्या मम्मी आप इन
बातो पर विश्वास करती है. सारे बाबा ढोंगी होते हैं इसलिए मुझे नहीं जाना इन जैसे बाबा के
पास.
मम्मी – देख बेटा तुझे तो
पता है न अपने पड़ोस वाले शर्मा जी के बेटे के बारे में कितने सालो से उसकी शादी
नहीं हो रही थी, फिर क्या पिछले साल बाबा ने कहा इस बार शादी नक्की होगी सो हो
गयी. नहीं तो कौन करता उस कलमोहे से शादी. और अब देख अनिल तुझे मेरी कसम
अगर तू न गया तो.
अनिल – अरे बस कर मम्मी अब
बोर न कर, ठीक है चला जाऊंगा.
मम्मी – सिमरन बेटा तू जा
फ्रेश हो ले फिर अनिल के साथ तू भी बाबा के दर्शन कर लेना.
अनिल – मम्मी रुक मैं फ्रेश
हो कर आता हूँ.
अनिल कमरे से बाहर चला जाता
है और साथ ही सिमरन भी अपने बैग से कपडे निकाल कर बाथरूम की ओर चली जाती है. कमरे
में अकेले बैठी मम्मी की नजर फ़र्स पर बिछे बिस्तर पर पड़ती है और सोच में पड़ जाती
है.
-------
ज्योतषी बाबा पूजा करते हुए
मंदिर में बैठा होता है और कई महिलाए ज्योतषी बाबा से आशीर्वाद ले रही होती हैं. अनिल और सिमरन दोनों ज्योतषी बाबा के पास आते
हैं. लाल साड़ी में सजी-धजी सिमरन ओंठो पर गहरे रंग की लिपिस्टिक लगाये ज्योतषी
बाबा के सामने होती है. ज्योतषी बाबा सिमरन के चेहरे की ओर देखते ही मन्त्रमुग्ध
हो जाते हैं. उनकी नजर सिमरन के चेहरे से हटती नहीं है.
अनिल – बाबा जी... बाबा जी...
ज्योतषी बाबा – (हडबडाते हुए) हाँ बच्चा.
अनिल – हम काफी दूर से आपके
पास आशीर्वाद लेने आये हैं. ये हमारी वाइफ हैं सिमरन.
सिमरन ज्योतषी बाबा के पैर
छू आशीर्वाद लेती है.
अनिल – हमारी मम्मी आपकी
बहुत बड़ी भक्त हैं.
सिमरन अपनी नशीली आँखों से ज्योतषी
बाबा की ओर देख रही होती है और ज्योतषी बाबा भी सिमरन के चेहरे की ओर एक टक नजरे
गडाए होते हैं.
अनिल – बाबा हम आपसे बाते
कर रहे हैं.
ज्योतषी बाबा – हाँ हाँ... हम सुन
रहे हैं. तू अपनी समस्या बता क्या है?
अनिल – हमारी अभी-अभी शादी
हुई है, हमारा विवाहित जीवन कैसा होगा बस यही जानना चाहते हैं.
ज्योतषी बाबा – तुम दोनों अपनी-अपनी
कुण्डलियाँ लाये हो?
अनिल – हाँ बाबा.
ज्योतषी बाबा – ठीक है. मुझे दे दो.
ज्योतषी बाबा कुण्डलियाँ
लेकर अध्धयन करता है और ज्योतषी बाबा के चहरे पर पसीने छूटने लगते है.
बाबा सिमरन के चेहरे की ओर
देखते हुए अनिल से बोलते हैं.
ज्योतषी बाबा – बेटा हम तुमसे अकेले
में बाते करना चाहते हैं.
अनिल सिमरन को इशारे से
जाने के लिए कहता है और सिमरन वहाँ मंदिर से बाहर चली जाती है.
ज्योतषी बाबा – तेरी अभी-अभी नयी
शादी हुयी है, मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर तेरी ये पत्नी तेरे साथ ज्यादा दिन तक
रहने वाली नहीं.
अनिल – बाबा मैं कुछ समझा
नहीं.
ज्योतषी बाबा – तेरी पत्नी आने वाले
दो सप्ताह में तुझे छोड़ किसी और के साथ भाग जायेगी.
अनिल – क्या? आप क्या बकवास
कर रहे हैं.
ज्योतषी बाबा – तुझे यकीन
नहीं हो रहा? मुझे भी यकीन नहीं हो रहा था. पर तेरी ये कुंडली यही कह रही है.
अनिल – खैर मैं एक पढ़ लिखा
इंसान हूँ और मुझे इन सब बातो पर यकीन नहीं. पर अपनी मम्मी के कहने पर यहाँ आ गया.
वरना मैं आपके पास कभी आता ही नहीं. मुझे पता है आप ये सब पैसो के लिए कह रहे हैं
न? ये लो पैसे. (अनिल अपनी जेब से निकाल कर पैसे ज्योतषी बाबा के सामने रख देता
है.) लेकिन बाबा जी भगवान् के लिए लोगो को गुमराह मत करो.
अनिल ज्योतषी बाबा के पास
से उठकर जाने लगता है.
ज्योतषी बाबा – लेकिन तू मेरी बात
तो सुन...
अनिल – मुझे कुछ नहीं
सुनना. जा रहा हूँ.
अनिल ज्योतषी बाबा के पास
से मंदिर के बाहर चला जाता है. और मंदिर के बाहर बने तालाब के किनारे सिमरन बैठी
होती है और अनिल चल कर सिमरन के पास आता है.
सिमरन – आप बड़े अपसेट लग रहे
हो, क्या बात है?
अनिल – ओ कुछ नहीं. सब ठीक
है. हम घर चले?
अनिल और सिमरन दोनों ऑटो
स्टैंड पर खड़े ऑटो में बैठ कर घर की चल देते हैं.
------
मम्मी, अनिल और सिमरन सभी
टेबल पर डिनर कर रहे होते हैं.
मम्मी – अनिल तू सुबह बाबा
के पास गया था. बाबा ने क्या कहा तुझे?
अनिल – कुछ नहीं मम्मी,
उन्होंने कहा सब ठीक है, तू तो जानती है मुझे यकीन नहीं ऐसे ढोंगी बाबाओ पर उनकी
नजर मेरी किस्मत पर नहीं मेरी जेब पर थी.
मम्मी – अरे ऐसे नहीं बोलते
बेटा. उनके के तो सिर्फ दर्शन से घर में सब शुभ होता है.
अनिल अपनी नजरे सिमरन की ओर
घुमाते ही सोच में पड़ जाता है.
अनिल – “अगर सिमरन सच में भाग गयी तो? नहीं... नहीं ये सच नहीं हो
सकता. इतनी मासूम और सुन्दर चेहरा कैसे किसी को धोखा दे सकता है.”
चेयर पर बैठी सिमरन टेबल के
नीचे से अपने पैरो को अनिल के पैरो से छूती है. सोच रहा अनिल हडबडा जाता है.
मम्मी – अरे तू खा क्यों
नहीं रहा?
अनिल – हाँ?
मम्मी – अरे तू खाना क्यों
नहीं खा रहा?
अनिल नहीं मोम मेरा पेट भर
गया. मैं सोने जा रहा हूँ. अनिल टेबल से उठकर चला जाता है.
सिमरन – मम्मी जी मैंने भी
खा, क्या मैं भी जाऊँ?
मम्मी – हाँ बेटा जा, तू इन
सब कि चिंता न कर मैं सब ठीक से रख दूँगी.
सिमरन – ठीक है मम्मी जी.
सिमरन भी कमरे की ओर चली
जाती है.
------
अनिल बिस्तर पर लेटा होता
है फिर सिमरन कमरे का दरवाजा खोल भीतर आती है और अनिल के करीब बेड पर लेट जाती है.
सिमरन – (गालो को छूते हुए)
मेरे प्यारे-प्यारे हसबैंड कल हमारी हनीमून थी, पर कुछ हुआ नहीं. पर आज मैं तुम्हे
नहीं छोड़ने वाली.
सिमरन अनिल के ओंठो को
चूमती है. और फिर अनिल सिमरन को अपने से अलग कर करता है.
अनिल – प्लीज सिमरन, मेरा
मूड सही नहीं. प्लीज आज कुछ नहीं. प्लीज!
सिमरन नाराज हो करवट बदल बेड
के एक कोने लेट जाती है. चिंतित अनिल सोचते हुए बिस्तर पर लेटा होता है. सिमरन
अपनी आँखे बंद कर सो जाती है. अनिल को ज्योतषी बाबा की कही बाते बार-बार याद आती
हैं.
--------
सुबह के वक़्त अनिल अपने
ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा होता है.
अनिल – मम्मी! मैं ऑफिस जा
रहा हूँ. मेरे शर्ट का बटन टूटा हुआ है.
सिमरन सुई धागा लेकर अनिल
के पास आती है.
सिमरन – मैं बटन लगा देती
हूँ.
अनिल – रुको मैं शर्ट निकाल
कर देता हूँ.
सिमरन – शर्ट निकालने की कोई
जरूरत नहीं.
सिमरन अनिल के पहने हुए
शर्ट में सुई धागा से बटन लगाती है. सिमरन अनिल के छाती को छूते हुए उसे चूमने
लगती है. अनिल भी मधहोश होने लगता है. उसी वक़्त मम्मी कमरे में आ जाती है. मम्मी
की नजर उन दोनों पर पड़ती है.
मम्मी – (खाँसते हुए) अरे
बेटा तुझे ऑफिस के लिए देर हो रही होगी.
सिमरन और अनिल हडबडा कर एक
दुसरे से अलग हो जाते हैं.
अनिल – हाँ... हाँ मम्मी जा
रहा हूँ.
अनिल ऑफिस बैग लेकर कमरे से
निकल जाता है और सिमरन भी दुसरे कमरे में जाने लगती है.
मम्मी – सिमरन बेटा रुक. तो... बेटा अब तो मेरी एक ही
ख्वाहिश है जल्दी से इस घर को एक बच्चे की किलकारी दे दे.
लजाते हुए सिमरन कमरे के भीतर
चली जाती है.
-----
अनिल ऑफिस से आ चूका है और
रात का डिनर सिमरन के साथ कर अपने कमरे में बेड पर लेटा होता है. दूसरी ओर उसी कमरे में सिमरन आईने के
सामने सजसंवर रही होती है. ओठो पर लाली और मेकअप करती है. मानो आज फिर सिमरन
दुल्हन की तरह सजी हुयी है और सिमरन आईने के सामने से उठकर बिस्तर पर लेटे अनिल के
पास आती है. अनिल गहरी नींद में सो रहा होता है. सिमरन अनिल को जगाने की कोशिश
करती है पर अनिल नहीं जगता है. सिमरन बिस्तर पर अनिल के बगल लेट जाती है. सारी रात
सिमरन जागते हुए करवट बदलती रहती. सिमरन विरह की आग में जल रही होती है. आधी रात
में भी सिमरन को नींद नहीं आ रही और कुछ सोच रही है. सिमरन की नजर दीवार पर लगे
घडी पर पड़ती है. घडी में रात के एक बज रहे होते हैं. सिमरन बिस्तर से उठकर कमरे से
बाहर निकल जाती है.
-------
आधी रात के वक़्त अकेला छोटू
छत पर खड़े हो शहर की ओर निहार रहा है. अपने जेब से सिगरेट का पैकेट निकल सिगरेट
जलाकर पीता है. सिगरेट के कई कश लगाने के बाद ही उसी वक्त सिमरन छत पर आ जाती है. छोटू
को किसी की आहट महसूस होती है ओर ओ मुड़कर देखता है सामने सिमरन खड़ी होती है. सिमरन
को देख छोटू सिगरेट बुझा उसे छिपाने की कोशिश करता है.
छोटू – अरे मैडम आप?
सिमरन – तुमने सिगरेट क्यों
बुझा दी?
छोटू – ओ कुछ नहीं मैडम...
बस कभी-कभी मूड अपसेट होता है तो पी लेता हूँ.
सिमरन – मूड अपसेट? मैं कुछ
समझी नहीं.
छोटू – जाने दीजिये न मैडम.
सिमरन – नहीं कहो न, हम भी
जानना चाहते हैं.
छोटू – ओ हमारी एक
गर्लफ्रेंड है गाँव में, बस उसी की याद आ रही थी.
सिमरन – ओह! ऐसी बात है,
दिखाने में कैसी है?
छोटू – सुन्दर. ओ मैडम
अंग्रेजी में कहते हैं न ब्यूटीफुल वैसी है. लेकिन मैडम आप से थोड़ी कम सुन्दर है.
सिमरन – अच्छा?
छोटू – आप बहोत सुन्दर हो
मैडम.
सिमरन – फूल के खिलने का क्या मतलब जब उसका रस चूसने वाला बाग़ में
कोई भौरा ही न हो. छोटू आज मेरा भी मूड बहुत अपसेट है. सिगरेट जलाओ.
छोटू – क्या मैडम?
सिमरन - सिगरेट जलाओ.
छोटू – हाँ हाँ... मैडम अभी
जलाते हैं.
छोटू सिगरेट जला कर सिमरन
के हाथो में देता है. सिमरन और छोटू दोनों एक ही सिगरेट बारी-बारी से फूकते है.
सिमरन – छोटू तुम मुझे अपना
दोस्त बनाओगे? मेरा मतलब अपनी गर्लफ्रेंड?
छोटू – हाँ... सच में मैडम.
सिमरन – यस रियल में.
सिमरन अपने हाथो को बड़ा कर
छोटू को गले से लगा लेती है और छोटू सिमरन के जिस्म को चूमने लगता है. फिर दोनों
एक दुसरे से लिपट कर प्यार करते हैं और दोनों का एक-दुसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध
बन जाता है. सिमरन के जिस्म में उठ रहा तूफ़ान छोटू ठंडा कर देता है. मानो समुन्दर
में उठ रही लहरे बिलकुल शांत हो चुकी हों.
------
अनिल और सिमरन के शादी को
आज दस दिन हो चुके हैं. पर आज भी अनिल के मन में वही ज्योतषी बाबा की बाते गूंज
रही हैं. अनिल ऑफिस के लिए तैयार हो रहा होता है.
मम्मी – बेटा बहु को घर आये
दस दिन हो गए लेकिन तू उसे कहीं घुमाने नहीं ले गया. उसे बाहर ले जा अपना शहर
दिखा, मूवी सुवि दिखा ला.
अनिल – मोम मेरे पास टाइम
नहीं है, ऑफिस में बहुत काम है.
मम्मी – बेटा काम तो ज़िन्दगी
भर करना है लेकिन ये उमर निकल गयी तो दोबारा लौट कर नहीं आएगी.
अनिल – क्या मोम आप भी बोर
कर रही हो. इतना है तो आप ही ले जा के शहर घुमा दो.
मम्मी – अरे बेटा तुझे तो
पता है मेरे घुटने में दर्द रहता है. मैं अपने चौराहे तक नहीं चल पाती तो इसे शहर
का सैर कहाँ से कराऊंगी.
अनिल – (अनिल किचेन में आवाज़ देता है) सिमरन मेरा लंचबॉक्स तैयार हुआ?
सिमरन और छोटू दोनों एक
दुसरे से लिपटकर किश कर रहे होते हैं.
सिमरन – छोटू छोड़, देख तेरे
साहब बुला रहे हैं.
(अनिल की आवाज़ आती है –
सिमरन...)
सिमरन – रुको ले कर आती हूँ.
सिमरन लंच बॉक्स लेकर किचेन
से बाहर जाती है और अनिल के हाथो में लंचबॉक्स देते हुए उसके हाथो को प्यार से सहलाती
है. अनिल लंचबॉक्स लेकर अपना हाथ फ़ौरन हटा लेता है.
अनिल – मम्मी मैं जा रहा
हूँ.
अनिल घर से बाहर चला जाता
है.
मम्मी – सिमरन बेटा मार्केट
से सब्जी खरीदनी है और कुछ जरूरी सामान भी लेना. तू ऐसा कर छोटू के साथ बाहर जाकर
ले आ. इसी बहाने तू शहर भी घूम लेगी और तेरा मन भी बहल जाएगा.
छोटू किचेन से चाय का
प्याला लेकर आता है और मम्मी के हाथो में देता है.
मम्मी – छोटू तू अपनी मैडम
को आज अपने साथ ले जा के शहर घुमा दे और कुछ खरीदारी भी कर आ.
छोटू सिमरन की ओर अपनी नजरे
घुमाता है और सिमरन छोटू को आँख मारती है.
--------
छोटू और सिमरन दोनों साथ
मार्केट में शोपिंग के लिए घर से जाते हैं और मार्केट में साथ आइसक्रीम दूकान पर मस्ती
करते आइसक्रीम खाते हैं. आज सिमरन छोटू के साथ बहुत खुश है. मानो किसी पंछी के कटे
हुए पर उसे वापस मिल गए हो. सिमरन छोटू के लिए कपडे की दूकान पर शर्ट खरीदती है. और
फिर दोनों साथ में सिनेमा हाँल में मूवी भी देखने जाते हैं.
-------
दूसरी ओर चिंता में डूबे
अनिल के पास ऑफिस के ही सह्पाटी शुक्ला जी मिठाई लेकर अनिल के पास आता है.
शुक्ला – क्यों अनिल जी का
हाल है? आज बड़े दुखी नजर आ रहे हो? क्या बात है? भाभी ने डांट-डपट दिया का? अरे नइ
- नइ शादी हुयी है ज़रा खिलखिला के जिओ. इ
का है मुरझाये फूल की तरह.
अनिल – जी... ये मिठाई किस
ख़ुशी में?
शुक्ला – बस ये समझो अपनी
लोटरी लग गयी. हमारे दादा जी की करोडो की वसीहत थी. बस उसी का विवाद हमारे चाचा जी
के साथ कोर्ट में चल रहा और कल ओ फैसला हमारे पछ में आ गया. बस ये समझो बचपन में
हमारा हाथ एक बाबा ने देखा था और कहा था एक दिन हम जरूर करोड़पति बनगे और ये लो हम
सच में बन गए.
अनिल – शुक्ला जी एक सवाल
पूछे आप से?
शुक्ला – अरे पूँछो.
अनिल – आप ये भाग्य,
किस्मत, ज्योतष ये सब में विश्वास करते हैं?
शुक्ला – अरे अभी तो हमने
अपनी आप बीती आप को बताई. एक बात गौर से सुन लो.... “हमें अपने कर्म पर कम विश्वास
है पर किस्मत पर ज्यादा”. अब इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कहेंगे. तो हम चलते हैं भाई
पुरे स्टाफ में मिठाई बाटनी है.
अनिल अकेले में अपने आप से
बाते करते हुए...
अनिल – “सब किस्मत होती है.
इसका मतलब जो ज्योतषी बाबा ने कहा है ओ सच होगा. मुझे अभी घर जाना चाहिए.”
अनिल ऑफिस से अपना बैग लेकर
निकल पड़ता है.
-------
अनिल अपने ऑफिस के बाहर ऑटो
स्टैंड पर आता है.
अनिल – ऑटो वाले भैया
इन्द्रपुरी चलेगे?
ऑटो वाला – हाँ साहेब.
अनिल ऑटो में बैठता है और
ऑटो चलने लगती है. ऑटो मार्केट से होकर गुजरती है. मार्केट के भीड़ भाड़ में सिमरन
और छोटू दोनों एक दुसरे का हाथ थामे टहल रहे होते हैं. अनिल की नजर उन दोनों पर
पड़ती है.
अनिल – अरे! भैया...
भैया... जरा रुकिए.
ऑटो वाला – नहीं साहेब हम नहीं
रुक सकते, ये रास्ता पहले से नो पार्किंग जोन में है और अगर हम यहाँ रुक भी गए तो
आर.टी.ओ. वाला हम पर फाइन ठोंक देगा.
अनिल – शिट!
ऑटो वाला – लेकिन साहेब हुआ
क्या? आप को तो इन्द्रपुरी जाना है न?
अनिल – अरे यार मेरी बीवी
नोकर के साथ घूम रही है.
ऑटो वाला – बीवी को खुश रखना
सीखो साहेब. नहीं तो ऐसा ही होगा. (जोर-जोर से हँसता है)
अनिल – हँस क्यों रहे हो?
ऑटो वाला – अच्छा बताओ साहेब
शादी को इतने दिन हुए.
अनिल – यही दस दिन हुए
होंगे. अब तुम्हे मैं क्या बताऊँ, हमारा अभी तक हनीमून भी नहीं हुआ है.
ऑटो वाला – अरे साहेब ये उम्र
ही ऐसी है. इस उम्र में अगर एक टाइम खाना न मिले तो चल जाएगा लेकिन जिस्मानी भूख
पूरी होनी चाहिए.
अनिल – हाँ तुम सही बोल रहे
हो. अच्छा मुझे एक बात बताओ क्या तुम किस्मत में विश्वास करते हो?
ऑटो वाला – क्या साहेब, ‘हमें
तो सिर्फ अपनी मेहनत मत विश्वास है. मेहनत करेंगे तो खाना मिलेगा. किस्मत खाना
थोड़े ही देगी.’
अनिल – रुको रुको... मेरा
घर आ गया. ये लो अपने पैसे.
ऑटो वाला – थैंक यू साहेब.
ऑटो वाला अपना ऑटो लेकर चला
जाता है. वहीँ सड़क पर खड़े होकर अनिल अपने आप से बाते करता है.
अनिल – “इसका मतलब मझे
किस्मत पर विश्वास नहीं करना चाहिए अपना कर्म करना चाहिए. ओह, मैं समझ गया मुझे
सिमरन को खुश रखना होगा.”
------
अनिल घर के बाहर से दरवाजे
पे वेल बजाता है.
मम्मी – बेटा आज बड़ी जल्दी आ
गया?
अनिल – हाँ मम्मी... मम्मी
ओ सिमरन छोटू के साथ मार्केट में क्या करने गयी है?
मम्मी – अरे बेटा उसे तो
मैंने ही भेजा है. घर में बैठे-बैठे बेचारी क्या करती? तू भी शादी के बाद से कहीं
उसे ले नहीं गया. सो तो मैं ही उसे मार्केट भेज दिया टहल आने के लिए.
अनिल – अच्छा माँ मुझे आपने
उस दिन मंदिर वाले ज्योतषी बाबा के पास भेजा था.
मम्मी – ओ बेटा बनारस वाले
ज्योतषी.
अनिल – हाँ, क्या उनकी बताई
हर बात सच होती है.
मम्मी – हाँ बेटा. लेकिन
तेरा तो इन बातो पर विश्वास कहाँ? रुक तेरे लिए चाय बना कर लाती हूँ. तू तब तक
फ्रेश हो ले.
उसी वक़्त सिमरन और छोटू भी
सब्जी और सामान का थैला लेकर घर के भीतर आते हैं.
मम्मी – ये ले बेटा बहु भी आ
गयी.
छोटू सामान लेकर किचेन के
भीतर चला जाता है.
मम्मी – बहु तू भी फ्रेश हो
ले. मैं तुम दोनों के लिए अच्छी वाली चाय बना कर लाती हूँ.
सिमरन – अच्छा मम्मी जी.
-------
सिमरन और अनिल दोनों साथ बाथरूम
में जाते हैं. अनिल सिमरन का हाथ पकड़ अपने बाँहों में भर लेता है.
अनिल – मुझे माफ़ करो सिमरन,
आई यम सॉरी, प्लीज. आज मैं तुम्हे दुनिया की सारी खुशियाँ दूंगा.
सिमरन – (इठलाते हुए) आखिर
आज आप बदल कैसे गए. मैं तो कुछ और ही समझ बैठी थी.
अनिल – नहीं नहीं ऐसी कोई
बात नहीं है. आज तुम देखना मैं क्या करता हूँ.
अनिल सिमरन के ओंठो को
चूमने जाता है तभी बाथरूम के दरवाजे पे छोटू नोक करता है.
छोटू – मैडम! मालकिन बुला
रही हैं.
सिमरन बाथरूम से आवाज़ देती
है.
सिमरन – उनसे कहो मैं आ रही
हूँ.
सिमरन और अनिल बाथरूम से
बाहर आ जाते हैं.
------
रात के डिनर के बाद कमरे
में अकेली सिमरन बैग में अपने सामान भर रही होती है. तभी अनिल उसी समय कमरे में
आता है.
अनिल – इतनी रात में सिमरन
तुम अपने कपडे बैग में क्यों पैक कर रही हो?
सिमरन – कल मुझे अपनी मम्मी
के घर जाना है.
अनिल – कल तुम चली जाओगी, तुम्हारे
जाने से पहले आज हम अपने अधूरे प्यार को पूरा कर ले. ये मानो आज ही हमारा हनीमून
है.
अनिल सिमरन को कसकर बाँहों
में भर लेता है. सिमरन अनिल से अपने आप को छुडाते हुए कहती है.
सिमरन – हनीमून से पहले
दूल्हा दूध पीता है न?
अनिल – यस.
सिमरन – तुम रुको मैं दूध
लेकर आती हूँ.
सिमरन किचेन में जाती है. और
पहले से किचेन में मौजूद छोटू दूध के ग्लास में नींद की गोलियाँ मिलकर सिमरन के
हाथ में देता है. सिमरन वह दूध लेकर बेडरूम में आती है.
सिमरन – ये रहा मेरे दुल्हे
के लिए गरमा गर्म दूध.
अनिल रोमांटिक अंदाज़ में
दूध पीता है और दूध पीते ही कुछ ही देर में उसे नींद आने लगाती है. नींद की
गोलियों वाला दूध पीकर अनिल बेहोस पड़ जाता है और फिर सिमरन अपना बैग लेकर कमरे से
बाहर आती है. दूसरी ओर पहले से तैयार छोटू और सिमरन दोनों एक साथ घर से भाग जाते हैं.
समाप्त.
Most romantic love story in Hindi (‘लक बाय चांस’) - दोस्तों इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है हमें कमेंट कर के जरूर बताये. धन्यवाद.
Please do not enter any spam link in the comment box.