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Horror real story in Hindi (भटकती आत्मा)

 

Horror real story in Hindi (भटकती आत्मा)
Horror real story in Hindi (भटकती आत्मा)

Horror real story in Hindi (भटकती आत्मा)

भटकती आत्मा

(ये कहनी गुरगाँव हरयाणा में घटित रियल कहनी से प्ररित होकर कहनी लिखी गयी है. जहाँ गुरगाँव के एक कॉल सेंटर में इस तरह कि घटना एक लड़की के साथ घटित हुई थी.)

विजय एक कॉल सेण्टर में काम करता है. उसी के साथ उसकी कलिग काजल भी उसी दफ्तर में काम करती है. उस दफ्तर कि सबसे खूबसूरत और कम उम्र की लड़की काजल ही होती है. ओ बिलकुल पारियों कि तरह लगती है. अभी उसे दफ्तर ज्वाइन करे सिर्फ दो महीने हुए हैं पर दफ्तर का हर कुवारा आदमी उससे दोस्ती करना चाहता है. विजय भी उसे प्यार करता और विजय अपने दिल कि बात उसे बताना चाहता है. पर ओ हिम्मत नहीं कर पाता है और आज ओ अपने इकबाले इश्क के लिए शराब का सहारा लेना चाहता है. आज उसकी नाईट शिफ्ट है. रात के बारह बजे से सुबह सात बजे तक कि उसकी ड्यूटी है. पर ओ अपने कुछ दोस्तों के साथ एक नाईट क्लब में बैठ शराब पी रहा होता है. रात के १.३० पर क्लब बंद होने पर उसके दोस्त उसे उसके ऑफिस के नीचे छोड़कर चले जाते हैं. शराब के नशे में विजय को चारो ओर अँधेरा ही अँधेरा नजर आता है. और रात का वक़्त है विजय लड़खड़ाते हुए सीडियाँ चढ़ ऑफिस के मेन डोर पर आता है. मेन डोर पर वाचमन बैठा होता है.

वाचमन – सर आप आलरेडी दो घंटे लेट आ रहे हैं. सॉरी सर आप अन्दर नहीं जा सकते.

विजय – व्हाट ?

वाचमन – यस सर... बड़े सर का आर्डर है.

विजय – तुझे पता है. पता है तू इससे बात कर रहा है, तेरी दो टेक कि औकात है. गेट लॉस्ट!

विजय जबरन ऑफिस के भीतर घुस जाता है. उसकी नजर काजल पर पड़ती है जो कॉल पर बाते कर रही होती है. ओ उसे निहारता उसके पीछे वाली चेयर पर बैठ जाता है. ऑफिस के दीवार पर लगी घडी में रात के दो बज रहे थे. काजल कॉल पर बाते करते हुए बड़ी परेशान है, चेहरे पर मायूसी है और उसकी आवाज़ से दर्द झलक रहा होता है. दूसरी ओर विजय इंतेज़ार कर रहा था कब नेहा कॉल कट करे और वह उससे बात कर सके. विजय कि आँखे नींद से हर बार बंद हो जा रही थी. पर ओ जबरन जगे रहने का कोशिश कर रही था. पर काजल कई घंटो से एक ही कस्टमर से बाते कर रही होती थी. ओ बहुत उलझी और परेशान लग रही थी. विजय उसे बीच में रोकना चाहता है पर ओ ऐसा नहीं कर सकता ये कंपनी के रूल के खिलाफ होगा. काजल का इतेज़ार करते विजय को नींद आ जाती है और ओ बेंच पर अपना सर रख नींद लेने लगता है.

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दफ्तर कि घडी में सुबह के आठ बज रहे होते हैं. विजय कि नींद टूट जाती है और ओ जग जाता है. अपने पीछे पलट कर देखता है पर काजल के सीट पर कोई और बैठा होता है.

विजय – गुड मोर्निंग.

रेड्डी - गुड मोर्निंग.

विजय – यार रात में तेरी सीट पर काजल बैठी थी, कहाँ गयी ओ?

 रेड्डी – मुझे नहीं पता?

विजय – कम ओन यार!

रेड्डी – गॉड प्रॉमिस, आई डोन्ट नो. मैं जब आया इस सीट पर कोई नहीं था. तू रुक वाचमन को पता होगा. चल उसी से पूँछते हैं.

दोनों डोर के बाहर बैठे वाचमन के पास जाते हैं.

विजय – सॉरी यार कल रात मैंने तुमसे बहुत बत्तमीजी की. प्लीज माफ़ कर दे.

वाचमन – कोई बात नहीं साहेब. मैं तो उसे कब का भूल गया.

विजय – अच्छा चल बता काजल कहाँ गयी?

वाचमन – काजल मैडम?

रेड्डी – हाँ.

वाचमन – सर ओ कल ड्यूटी पर आई ही नहीं थी.

विजय – व्हाट? तू क्या बकवास कर रहा है. कल रात ओ मेरे सामने वाली चेयर पर बैठी थी. तुझे एक बार मैंने सॉरी बोला न. तुझे समझ में नहीं आता.

वाचमन – देखिये सर मैं सच कह रहा हूँ.

विजय – (गुस्से में) देख तू अगर झूट बोला न...

रेड्डी – अरे विजय... विजय मेरी बात तो सुन, ये शायद सही कह रहा है. तू मेरी बात मान तू रात में लगता है कुछ ज्यादा ही टून हो गया था.

विजय –   व्हाट?

रेड्डी – हाँ तू चल मेरे साथ.

 

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विजय – देख रेड्डी मैं किसी मजाक के मूड में नहीं हूँ. पर मैंने सच में उसे देखा है.

रेड्डी – चल मान लिया ओ कल रात ऑफिस आई थी. ये कंफर्म करने के लिए उसे चल कॉल कर. हाँ देख क्या रहा है चल उसे कॉल कर अभी सब पता चल जाएगा.

विजय अपने मोबाइल से काजल को कॉल करता है. काजल का कॉल आउट ऑफ़ नेटवर्क एरिया में होता है.

विजय – शिट यार! उसका मोबाइल आउट ऑफ़ नेटवर्क एरिया में है. न जाने ओ कहाँ है यार, लेकिन तू मान या न मान ओ कल रात ऑफिस आई थी और बहुत परेशान भी लग रही थी.

रेड्डी – शायद ओ किसी परेशानी में हो और उसने ऑफिस में किसी से ये बात शेयर की हो.

विजय – लेकिन हमें कैसे पता चलेगा.

रेड्डी – ओ के. हम कल रात कि सी सी टीवी फूटेज चेक करते हैं. शायद उससे हम कुछ पता चल जाये.

विजय -  तू शायद ठीक बोल रहा है. हमें ऑफिस के सी सी टीवी फूटेज चेक करने चाहिए.

 

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विजय और रेड्डी दोनों सी सी टीवी फूटेज चेक करने के लिए ऑपरेटर के कमरे में जाते हैं.

रेड्डी - तुम कल रात दस बजे से सुबह सात के टाइम का विडियो फूटेज लगाओ.

ऑपरेटर – यस सर.

ऑपरेटर सी सी टीवी फूटेज चलाता है. काफी देर तक फूटेज चेक करने के बाद भी विडियो में कहीं काजल नजर नहीं आती है.

रेड्डी – देख मैं बोल रहा था. तुझे रात में चढ़ गयी थी. कल काजल ऑफिस आई ही नहीं.

विजय – ऐसे कैसे हो सकता है.

ऑपरेटर – हमने सारा फूटेज चेक कर लिया सर लेकीन काजल मैडम कहीं नजर नहीं आ रही हैं.

रेड्डी – (ऑपरेटर से कहता है) ओके थैंक्स.  

रेड्डी विजय का हाथ पकड़ बाहर ले जाता है.

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विजय थका हुआ घर आता है.

मोम – अरे विजय, तू आज इतना उदास क्यों लग रहा है?

विजय – कुछ नहीं मोम, बस ऑफिस के काम से थक गया हूँ.

मोम – वेट मैं तेरे लिए कॉफ़ी लेकर आती हूँ. तब तक तू फ्रेश हो ले.

विजय – ओके मोम.

मोम किचेन में चली जाती है. विजय फ्रेश होने बाथरूम में जाता है. बाथरूम में टंगे शीशे के सामने टैब में फ्रेश हो रहा होता है. तभी उसे शीशे में काजल नजर आती है. और फ़ौरन विजय मूड कर देखता है लेकिन सामने कोई नहीं होता है. विजय इसे अपना वेहेम समझ बाथरूम से बाहर आ जाता है.  मोम कॉफ़ी लाकर विजय को देती है और किचेन से दोबारा चली जाती है.

मोम – ले कॉफ़ी पी ले तुझे फ्रेश महसूस होगा. तब तक मैं तेरे लिए कुछ खाने के लिए भी बना देती हूँ.

विजय अपना मोबाइल निकाल काजल का व्हाट्सउप चेक करता है. लेकिन उसके मोबाइल पर काजल का कोई भी अकाउंट नहीं होता है. ओ परेशान मोबाइल में सर्च करता है और कोई काजल कि प्रोफाइल नजर नहीं आती है. गुस्से में चिल्लाते हुए विजय अपना खिड़की से बाहर फेक देता है. चिल्लाहट सुन मोम किचेन से फ़ौरन बाहर आती है.

मोम – क्या हुआ बेटा?

विजय – कुछ नहीं मोम थोड़ी सी तबियत खराब लग रही है.

मोम – तू अपने कमरे में जाकर आराम कर.

विजय – ओके मोम.

विजय अपने कमरे में चला जाता है और बेड पर लेट अपनी आँखे बंद कर लेता है.

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दो सप्ताह बाद---

विजय बॉस के केबिन में होता है.

बॉस- विजय सब काम कैसे चल रह रहा है?

विजय – सर एवरीथिंग इज फाइन.

बॉस – ओके वेल. अच्छा तुम्हारे डिपार्टमेंट में एक काजल नाम कि लड़की काम करती थी. कई हफ्तों से दिखी नहीं.

विजय – यस सर. मेरे ख्याल से शायद उसकी तबियत खराब हो इसलिए नहीं आ रही है.

बॉस – अच्छा, तुमने उसे कांटेक्ट करने कि कोशिश नहीं की? आफ्टरआल ओ हमारे कंपनी कि एक अच्छी एम्प्लोयी है. हमारा फ़र्ज़ होता है हम उसके बारे में जाने.    

विजय – सर हमने उसे कॉल करने कि कोशिश की लेकिन उसका फ़ोन बंद आ रहा है.

बॉस – वेल तुम एक काम करो. ओ अपनी कंपनी का ड्राईवर कई बार उसे उसके घर छोड़ा है. तुम उस ड्राईवर को लेकर उसके घर चले जाओ.

विजय – ओके सर.

बॉस – ठीक है अब तुम जा सकते हो.

विजय बॉस के केविन से बाहर निकल जाता है.

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ड्राईवर और विजय दोनों कार लेकर एक सोसाइटी में आते है.

ड्राईवर – सर ओ अक्सर यहीं पर उतर जाती थी और उस सामने वाली गली में चली जाती थी.

विजय – ओके. हम यहीं आस पास उसके बारे में पूँछते हैं. शायद कोई उसका घर बता दे.

ड्राईवर – ठीक है सर.

दोनों कार से उतर सोसाइटी के कुछ लोगो से उसके बारे में पूंछते हैं. लेकिन कोई भी उसके बारे में जवाब नहीं देता है.

विजय – छिट यार! किसी को भी कुछ नहीं पता. अब हम क्या करे? और एक बार कोशिश करते हैं.

विजय एक दूकानदार के पास जाता है.

विजय – (मोबाइल पर तस्वीर दिखाते हुए) अरे काका क्या आप बता सकते है? यह लड़की यहाँ कहाँ पर रहती है?

काका – (मोबाइल पर गौर से देखते हुए) हाँ बेटा यह लड़की कुछ महीने पहले तक अपने बूड़े माँ-बाप से साथ यहीं पर रहती थी पर अब ओ यहाँ पर नहीं रहते.

विजय – क्या?

काका – हाँ बेटा.

विजय – कितने दिन पहले ओ यहाँ पर रहते थे?

काका – तकरीबन छे महीने हो गए.

विजय – व्हाट? आप क्यों मज़ाक कर रहे हैं.

ड्राईवर – अभी कुछ दिन पहले तक मैंने उसे यहीं पर ड्रॉप किया था.

काका – तुम दोनों पागल हो क्या जब ओ यहाँ पर पिछले छे महीने से रहती नहीं तो तुम उसे यहाँ पर कैसे ड्रॉप कर सकते हो?

विजय – ड्राईवर चलो यहाँ से.

विजय और ड्राईवर दोनों जाकर अपनी कार में बैठ जाते हैं और ड्राईवर कार लेकर चला जाता है.

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रेड्डी और विजय दोनों कैफ़े में बैठ कॉफ़ी पी रहे होते हैं.

रेड्डी – सब बकवास कर रहे हैं. ओ जरूर किसी सिरियस प्रॉब्लम में होगी.

विजय – हाँ यार तू ठीक बोल रहा है. लेकिन हम क्या कर सकते हैं.

रेड्डी – क्यों न हम पुलिस कि मदद ले. हम इसके गुम होने कि रिपोर्ट पुलिस थाना में दर्ज कराते हैं.

विजय – तू शायद ठीक बोल रहा है.

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विजय और रेड्डी दोनों पुलिस थाने में इंस्पेक्टर के सामने बैठे होते हैं.

इंस्पेक्टर - अच्छा तो तुम लोगो के कंपनी में काम करती थी और पिछले दो हफ्तों से काम पर नहीं आ रही.

विजय – यस सर.

इंस्पेक्टर – उसकी कोई तस्वीर है.

रेड्डी -  जी सर. अरे विजय सर को दिखा न.

विजय – हाँ हाँ दिखता हूँ.

विजय अपने मोबाइल पर काजल कि तस्वीर दिखाता है.

इंस्पेक्टर – रुक-रुक मैंने इस लड़की को कहीं तो देखा है. कहाँ देखा है? कहाँ देखा है? यस याद आया... छे महीने पहले इस लड़की का भयानक एक्सीडेंट हुआ था. और उस एक्सीडेंट में इसकी जान चली गयी थी.

विजय – क्या सर आप मज़ाक कर रहे हैं.

इंस्पेक्टर – व्हाट? क्या मैं यहाँ मज़ाक करने बैठा हूँ. इतना ही नहीं उस एक्सीडेंट में ओ लड़की घंटो मदद कि फ़रियाद करती रही लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं कि और शायद मदद कर दी होती तो इसकी जान जरूर बच जाती. कांस्टेबल!

कांस्टेबल – यस सर.

इंस्पेक्टर – देखो काजल नाम से एक फाइल होगी ड्रा में ओ लेकर आओ. और रिपोर्ट में दर्ज लड़की के घर का एड्रेस इन लोगो को दे दो.

कांस्टेबल – ओके सर.

कांस्टेबल ड्रा से काजल कि फाइल लेकर आता है. और फाइल से ड्रेस निकाल कर विजय को देता है.

विजय – अच्छा ये एक्सीडेंट हाईवे पे एक्साक्ट किस जगह पर हुआ था.

कांस्टेबल – पुराने ब्रिज के नीचे. हाँ इस लड़की ने वहाँ पर तड़प तड़प कर दम तोडा था. अगर किसी ने उसकी मदद की होती तो जरूर ओ लड़की बच जाती.

विजय का सर चक्कर खाकर घूमने लगता है.

रेड्डी – हे विजय विजय... क्या हुआ? (कांस्टेबल से) प्लीज आप एक ग्लास पानी ला देंगे.

कांस्टेबल कमरे से बाहर चला जाता है.

रेड्डी – क्या हुआ?

विजय – छे महीने पहले मेरी गाडी से उस जगह पर एक लड़की का एक्सीडेंट हुआ था.

रेड्डी – तो तूने उसकी मदद नहीं कि.

विजय – मैं डर गया था यार. शायद मैं उसकी मदद कर दिया होता तो उसकी जान बच जाती.

रेड्डी – लेकिन यार हम इन सब बातो पर कैसे यकीन कर ले. हमें इसके घर जाना चाहिए.

कांस्टेबल पानी का ग्लास लेकर आता है.

कांस्टेबल – ये लो.

विजय ग्लास कांस्टेबल से लेकर पानी पीता है.

विजय – थैंक.

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रेड्डी और विजय दोनों घर कि वेल बजाते हैं. रामलाल (६० ) आकर दरवाजा खोलता है.

रामलाल – हाँ बेटा मैं आप दोनों को पहचान नहीं रहा हूँ.

लक्ष्मी – अजी कौन है?

रामलाल – रुको पूंछ रहा हूँ.

विजय – हम...

रेड्डी – हम काजल के दोस्त हैं.

रामलाल – काजल, अच्छा अच्छा बेटा आओ अन्दर आओ. (लक्ष्मी को आवाज़ देते हुए) अजी सुनती हो काजल के दोस्त है. हमसे मिलने आये हैं.

दोनों कि नजर दीवार पर हार चड़े काजल के तस्वीर पर पड़ती है. विजय और रेड्डी दोनों तस्वीर कि ओर देखते रह जाते हैं.

रामलाल – बेटा ये हमारी एकलौती बेटी थी. अब हमारा कोई सहारा नहीं.

लक्ष्मी चाय लेकर आती है.

लक्ष्मी – हाँ बेटा काश उस दिन उसकी किसी मदद किसी ने की होती तो ओ आज हमारे साथ होती. न जाने क्यों आज कल के लोग क्यों इतने निर्दई हो गए हैं.

रामलाल – लेकिन बेटा आप लोगो को कभी काजल के साथ नहीं देखा.

विजय के आँखों में आंसू होते हैं.

विजय – आप ने सही कहा उसने कभी हमारे बारे में नहीं बताया होगा पर हमें आपके में सब पता है.

रेड्डी – हम आपका सहारा बनेगे. हमसे जितना होगा हम आपकी मदद करेंगे.

विजय अपने जेब से नोटों का बण्डल निकाल रामलाल के हाथो में देता है और विजय और रेड्डी कमरे निकल जाते हैं.

समाप्त--

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