Short moral stories in Hindi |
Short moral stories in Hindi (बिटिया रानी)
कहानी - बिटिया रानी
लेखक - लालजी वर्मा
दृश्य नंबर – १
समय – दिन
लोकेशन – जीवन का घर
कलाकार – ज्योति, जीवन, रमा, दाई, दो छोटी बच्चियाँ.
प्रसव पीढ़ा से ज्योति घर के भीतर तड़प रही होती. दाई ज्योति के प्रसव में मदत
कर रही होती है. द्वार पर जीवन और रमा बैठी होती है और साथ ही जीवन और ज्योति के
दो बेटियाँ भी वहां मौजूद खेल रही होती हैं.
रमा – देख ले जीवन अगर इस बार भी बहु ने लड़की जन्मा तो इस घर में या तो बहु रहेगी या हम
ही.
जीवन – अम्मा आप थोड़ी देर के लिए चुप रहेंगी. एक तो ये ससुरी कब से चिल्ला रही है और
दूजे तो हमारी खोपड़ी कब से खा रही है. अब का करे? जब इ ससुरी हर बार बिटिया जन्मती
है.
दाई कमरे से निकल कर बाहर आती है.
दाई – अम्मा काफी देर हो गयी. बहु को बहोत पीढ़ा हो रही है. हम कह रहे हैं आप किसी
डॉक्टर को बुला ले. अगर बच्चा सही समय पर न तो बहु के जान का खतरा भी है.
रमा – अब डॉक्टर के लिए पैसे कहाँ से लाये. और भगवान के मर्जी के बिना कुछ नहीं
होगा इस अभागी को. देख तो रही हो हर बार बिटिया ही जन्मती है.
दाई – अरी अम्मा, अब बहु के हाथ में ये सब थोड़े है. अच्छा मैं भीतर जाती हूँ.
दाई कमरे के भीतर चली जाती है. जीवन कमरे के एक कोने पड़ी पेटी से शराब निकाल
कर चुपके से पीता है. जीवन अपने आप को दुरुस्त कर के वापस रमा के पास आता है.
जीवन – अम्मा डॉक्टर को बुला. नहीं तो कुछ ऊँच-नीच हो गया तो क्या होगा. घर के काम
कौन करेगा? और तो और इन दो बच्चियों का क्या होगा.
रमा – अब डॉक्टर के लिए पैसे कहाँ से लाऊ. तू तो कुछ कमा के देता नहीं है. उलटे घर
से पैसे ले जा शराब पर खर्च कर देता है. तेरे बाबू जी के मरने के बाद जो कुछ
बची-कुची पेंसन है मुझे मिल जा रही है, उसी से घर चल जा रहा है. मैं तो ये सोचकर
परेशान हूँ इन बच्चियों का विवाह कैसे होगा?
जीवन – अब लेक्चर न दो अम्मा.
कमरे के भीतर से बच्चे के रोने की आवाज़ आती है, ज्योति बच्चे को जन्म देती है.
दाई भीतर से बाहर आती है.
दाई – बधाई हो अम्मा. बहु ने सही सलामत बच्चे को जन्मा. और अब जच्चा-बच्चा दोनों सही
सलामत है. अब चलती हूँ अम्मा, बहु का
ख्याल रखना.
रमा – अरी रुक बताती तो जा का जन्मा है?
दाई – बिटिया हुयी है, अम्मा. अब मैं चलती हूँ.
रमा हक्की-बक्की बनी एक टक दाई की ओर देखते रह जाती है. दाई घर से निकल बाहर
चली जाती है. जीवन जमीन पर बैठे-बैठे सो रहा होता है. रमा जीवन को जगाती है.
रमा – (रोते हुए) जीवन... जीवन... अरे उठ, हमारी किस्मत फूट गयी. अब का
होगा?
जीवन जग जाता है. अपनी अम्मा को रोता देख जीवन भी जोर-जोर से रोने लगता है.
जीवन – हम सब को छोड़ के चली गयी. अब खाना कौन बायेगा. घर के काम कौन करेगा अम्मा.
रमा – क्या? अरे ओ मरी नहीं है. जिन्दा है.
जीवन – क्या जिन्दा है.
रमा – ओ तो हमें जीते जी मर दी, उसने फिर से लड़की जन्मी है.
जीवन चुप-चाप घर से बाहर निकल चला जाता है.
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दृश्य नंबर – २
समय – दिन
लोकेशन – नदी किनारा
कलाकार – जीवन, मास्टर जी, दो शराबी
कुछ सोचते हुए जीवन नदी किनारे बैठा होता है. वहीँ से साइकिल से गाँव के मास्टर
जी गुजर रहे होते हैं
मास्टर जी – अरे जीवन... यहाँ पर क्या कर रहे हो?
जीवन मास्टर जी के पास आता है.
मास्टर जी – क्या हुआ आप की बच्चियां अभी कुछ दिनों से स्कूल नहीं आ रही.
जीवन – मास्टर मेरे पास पैसे नहीं है फीस के. और ऊपर से मेरी जनानी ने एक और बच्ची
को जन्म दिया है.
मास्टर – तुमसे फीस कौन मांग रहा है. तुम बच्चियों को स्कूल तो भेजो... जीवन तुमने
सुबह-सुबह शराब पी रखी है.
जीवन – जी मास्टर जी. आज मैं बहोत टेंसन में हूँ. इसीलिए आज थोड़ी सी ज्यादा ले ली.
मास्टर – और तुम्हारे टेंसन का कारण क्या है? ओ बच्चियां... देखो जीवन इस संसार को
सिर्फ दो लोग चला रहे हैं एक पुरुष और दूसरा महिला. इन दोनों में से अगर कोई एक न
रहे तो ये संसार नहीं चल सकता. और यही जीवन चक्र है. तुम, मैं और हम सभी इसी से
हैं. अगर किसी के घर एक लड़का जन्म लेता है तो, किसी न किसी के घर एक लड़की भी जरूर
जन्म लेगी. हमारी माँ, हमारी बहन, हमारी पत्नी, हमारी बच्ची सभी इसी जीवन चक्र की
दें है. और इस जीवन चक्र को हम ने नहीं, स्वयं ईश्वर ने बनाया है.
जीवन – ये सब तो ठीक है मास्टर जी लेकिन अम्मा कहती है घर का वंस कैसे चलेगा?
मास्टर – किस वंस की बात करते हो? क्या तुम बता सक्तो हो एक हज़ार साल पहले तुम किस वंस
से थे. शायद नहीं बता सकते. हम अपने घरो में लक्ष्मी, दुर्गा, सरस्वती एन सारी
देवियों को पूजते हैं पर घर में एक लड़की जन्म लेले तो हमारी साँसे फूलने लगती है. खैर मुझे देर हो रही है स्कूल के लिए. मैं चलता
हूँ. नमस्कार.
जीवन – नमस्ते.
जीवन भी अपनी साइकिल ले अपने खेतो की ओर चल देता है. जीवन खेतो में काम करता
है. सूरज ढलने के बाद अँधेरा में जीवन अपनी साइकिल ले सड़क ओर जाता है. सड़क पर दो
लोग मोटर साइकिल से जा रहे होते हैं. जीवन को साइकिल से जाता देख अपनी मोटर साइकिल
रोक देते हैं.
पहला – जीवन! आज यहाँ कहाँ जा रहा है? आज पीने नहीं चलेगा?
जीवन – नहीं यार मैंने शराब छोड़ दी.
दूसरा – क्यों मजाक कर रहा है? तू दुनिया छोड़ सकता है पर शराब नहीं.
जीवन – मैंने सच में शराब छोड़ दी.
पहला – चलो यार ये तो पागल हो गया है.
दोनों अपनी मोटर साइकिल को स्टार्ट कर दोबारा सड़क पर आगे चले जाते हैं. जीवन
भी अपनी साइकिल से रस्ते पर चल देता है.
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दृश्य नंबर – ३
समय – रात
लोकेशन – जीवन का घर
कलाकार – ज्योति, जीवन, रमा, दो बच्चियाँ, अन्य लोग
अँधेरे में जीवन साइकिल से घर पहुचता है. घर के बाहर साइकिल खड़ी कर जीवन घर के भीतर जाता है. ज्योति खाट पर अपने नवजात शिशु के साथ लेती होती है. जीवन ज्योति के पास जाता है. जीवन नवजात शिशु को अपने गोद में उठा लेता है.
ज्योति – मैंने सोचा था आप इसे कभी भी अपनाएंगे नहीं.
जीवन – नहीं ज्योति मैं बहोत बड़ी गलती कर रहा था.
ज्योति – आज आप शराब पीने नहीं गए?
जीवन – नहीं मैंने शराब छोड़ दिया. मैं आज अपने खेतो में काम करने गया था. अब मैं
तीन-तीन बेटियों का बाप हूँ, उन्हें पढ़ना और लिखना भी तो है. और कल से मैं मजदूरी
करने के लिए नजदीक के शहर भी जाउंगा.
ज्योति – आप सच कह रहे हैं?
ज्योति जीवन के हाथो पर अपना हाथ रखती है. जीवन का शरीर बुखार से तप रहा था.
ज्योति – आप को तो तेज बुखार है.
जीवन – नहीं मैं ठीक हो जाऊँगा.
रमा भी हाथ में थैला लेकर घर के बाहर से भीतर आती है.
रमा – देख तेरे बच्चो के लिए राशन लेने दूकान गयी थी. तू तो है शराबी अपने बच्चो के
लिए कभी कुछ लाता तो है नहीं.
जीवन खड़े होकर रमा के हाथ से जैसे थैला लेने की कोशिश करता है बेहोश होकर जमी
पर पड़ जाता है. रमा जमीन पर थैला फेक जीवन के सर को अपने गोद में लेटा लेती है.
रमा – अरे इसे तो तेज बुखार है. (जोर से रोते हुए) अरे ये सब इस मनहूस बच्चे की वजह
से हुआ है. आते ही अपने बाप को खाना चाहती है.
शोर सुनकर आस-पड़ोस के कुछ लोग रमा के घर में आ जाते हैं. कुछ लोगो में से एक
व्यक्ति जीवन के माथे को छूता है.
एक व्यक्ति - अरे इसे तो तेज बुखार है. रुको अभी मैं डॉक्टर को फोन करके बुलाता हूँ.
व्यक्ति डॉक्टर को फ़ोन करता है.
फेड आउट----
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दृश्य नंबर – ४
समय – रात
लोकेशन – जीवन का घर
कलाकार – ज्योति, जीवन, रमा, दो बच्चियाँ, डॉ. रेणुका, मास्टर जी और अन्य लोग
जीवन खाट पर लेटा होता है और डॉ. रेणुका जीवन का इलाज कर रही होती है. रेणुका
जीवन को इंजेक्शन देती है.
रमा – क्या हुआ है डॉक्टर बिटिया?
डॉ. रेणुका – कुछ नहीं माँ जी खाली पेट शराब पीने से ये सब हुआ है. बस अभी कुछ ही पल
इन्हें होश आ जाएगा.
जीवन धीरे-धीरे अपनी आँखे खोलता है. जीवन के सामने गाँव के कुछ लोग जमा होते
है और रमा, ज्योति, डॉ. रेणुका साथ ही जीवन की दो बेटियाँ भी वहीँ पर मौजूद होती
हैं. जीवन को होश में आते देख रमा बहोत खुश होती है.
रमा – बिटिया तुम भगवान बन के आज मेरे बेटे को बचा ली. तेरा बहोत बड़ा मुझ पर उपकार
है.
डॉ. रेणुका – ऐसे न कहो माँ जी, ये तो मेरा फ़र्ज़ था.
रमा – अच्छा बिटिया तेरी फीस कितनी हुई?
डॉ. रेणुका – कुछ नहीं बस आप अपनी इन दोनों पोतियों को सही समय पर स्कूल भेजते रहना यही
मेरी फीस है.
जीवन – देखा माँ... आज की बेटियाँ बेटो से कम न हैं. मैं भी अपनी को पढ़ा-लिखा के इस तरह बड़ा अफसर
बनाऊंगा.
जीवन अपनी दोनों बेटियों को गले लगा के रोने लगता है.
रमा – मुझे माफ़ कर दे बेटा, मैं ही अंधी बन गयी थी. आज मेरे भी समझ में आया बिटियाँ
किसी से कम न होती हैं.
स्कूल के मास्टर जी घर के भीतर आते हैं.
मास्टर जी – माँ जी ये बिटिया मेरी ही है और मैं चाहता हूँ मेरे जैसे ही आप सभी की
बेटियाँ पढ़े और आगे बढे.
दोनों बच्चियाँ – हम कल से रोज पढ़ने आयेंगे मास्टर जी.
दोनों बच्चियाँ को देख सभी के चेहरे पर मुस्कान होती है. रमा दोनों बच्चियाँ को गले लगा लेती है.
समाप्त-----
Short moral stories in Hindi (बिटिया रानी) उम्मीद करते हैं आप सभी को यह शोर्ट स्टोरी अच्छी लगी होगी. हमें कमेंट करके जरूर बताये.
धन्यवाद.
क्या मैं इसे शॉर्ट मूवी बना सकता हूं
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