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Suspence Story - खून की प्यासी शोर्ट फिल्म स्क्रिप्ट

 

Suspence Story - खून की प्यासी शोर्ट फिल्म स्क्रिप्ट

Suspence Story - खून की प्यासी शोर्ट फिल्म स्क्रिप्ट 

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Suspence Story - खून की प्यासी शोर्ट फिल्म स्क्रिप्ट 

कहानी - खून की प्यासी

लेखक – लालजी वर्मा



संजय दौड़ता हुआ बिल्डिंग की सीडियाँ चड़ते अजय के कमरे के डोर पर आ जाता है. हाँफते हुए दरवाजे पर दस्तक देता है. कमरे के भीतर अजय और रोहन सिगार फूंक रहे होते हैं. डोर पर दस्तक सुन अजय और रोहन दोनों झट से अपने अपने सिगार बुझा देते हैं और अजय डोर के पास जाकर डोर खोलता है. अजय के सामने परेशान संजय खड़ा होता है.

अजय – अबे यार तू है, मैं सोच डैड आ गए. चल अन्दर आजा.

संजय – प्लीज यार मेरे पास टाइम नहीं है, तू फ़ौरन मेरे साथ चल.

रोहन – (किलकारी मारकर हँसते हुए) तझे इतनी जल्दी क्यों है?

संजय – मेरी गर्लफ्रेंड का एक्सीडेंट हो गया है और उसे शक्त एबी-नेगेटिव (AB-negative) ब्लड की जरूरत है. एंड आई नो, तेरा ब्लड ग्रुप एबी-नेगेटिव (AB-negative) है. प्लीज यार मेरे लिए ब्लड डोनेट कर दे.

रोहन झट से संजय और अजय के पास आ जाता है.

रोहन – घंटा! अजय ओ भी तेरी गर्लफ्रेंड के लिए ब्लड डोनेट कभी नहीं करेगा.

अजय – तेरी गर्लफ्रेंड क्या? मैं तो मेरी गर्लफ्रेंड के लिए अपना ब्लड कभी डोनेट न करू.

अजय और रोहन दोनों साथ में ठहाके मारकर जोर-जोर से हँसते हैं. दुखी संजय वहाँ से चला जाता है.

Cut to-

बुखार से तड़प रहा संजय, बिस्तर पर लेटा हुआ है. अजय और उसके कुछ दोस्त उसके करीब बैठे हैं. संजय के सिरहाने पास एक डायरी पड़ी होती है. अजय उस डायरी के पन्ने खोल डायरी में लिखी कहानी पढता है.

“खून की प्यासी- मुझे नींद नहीं आ रही थी, बस बिस्तर पे लेटे करवटे बदल रहा था. जब भी आँखे बंद करता उसी का मासूम चेहरा मेरी आँखों के सामने आ जाता और मैं जब भी उसके करीब जाने की कोशिश करता ओ मेरी आँखों से ओझिल हो जाती. मैं बिस्तर से उठा और अँधेरे कमरे की बत्ती जला दी. नेरी नजर दिवार पर टंगी घडी की ओर गयी और घडी में रात के दो बज रहे थे. चारो ओर फैले सन्नाटे में घडी का हर काँटा बड़ी टिक टिक करते दौड़ रहा था. उसी के साथ मेरे दिल की हर धड़कन भी बड़ी तेजी से दौड़ रही थी. उसकी हंसी मुझे हर बार याद आ रही थी. इस ठण्ड में भी मेरे चेहरे पर पसीने देखे जा सकते थे. बेचैनी बड रही थी, आँखों के सामने अँधेरा छा रहा था. उसी वक़्त हवा का एक तेज झोंका आया और कमरे की खिड़की खुल गयी. ठंडी वहाए कमरे में दस्तक देने लगी. मेरा बदन ठण्ड वहाओं से काँप रहा था. मैं खिड़की को बंद करने दौड़ा और मेरे नजर घर के करीब से गुजरने वाली सड़क पर गयी. सूनसान सड़क पर एक लड़की सफ़ेद कपड़ो में मेरी ओर देख रही थी. बहार इनता कोहरा था की उसकी चेहरा नजर नहीं आ रही थी. मैं गौर से देखने की कोशिश की और मेरे होश उड़ गए यह तो वही लड़की है. मैं उससे मिलना चाहता था, उससे बाते करना चाहता था. मेरा रोम रोम ख़ुशी से झुमने लगा था. अब मैं उससे मिल सकूँगा, बाते कर सकूँगा. मैं खिड़की बंद किया और उससे मिलने के लिए तेजी से कमरे के बाहर आया और एक सेकंड के लिए रुक गया. सोचा आज उसने मिलने जा रहा हूँ- थोडा अपने बाल सँवार लू, ज्यादा नहीं तो एक बार अपने चेहरे को आईने से सामने निहार लू. मैं दोबारा कमरे में मुड़ा और आईने के सामने आया. मैं अपने चेहरे को आईने में देख रहा था उसी समय मेरे पीछे आइने में उस लड़की की तस्वीर नजर आई. “ये तो वही लड़की है...” मैं पीछे पीछे मुडा और वहाँ कोई न था.... आईने में दोबारा देखा तो उसकी तस्वीर नजर आ रही थी और फिर दोबारा पीछे मुड़कर देखा तो ओ नहीं थी. मेरा सर चक्कर काटने लगा... और जोर से चक्कर आने लगे और फ़र्स पर गिरते ही बेहोश हो गया.”

अजय डायरी पर लिखे नंबर पर मोबाइल से कॉल लगाता है.

मोबाइल वोइस – “ये नंबर उपलब्ध नहीं है.” “ये नंबर उपलब्ध नहीं है.”

अजय – छिट यार ये नंबर भी नहीं लग रहा.

दोस्त 1 – लेकिन अब हम इसके घर वालो को कैसे मैसेज देंगे?

अजय – ये तो मेरी समझ में भी नहीं आ रहा है? यार अब हम क्या करे. इसकी ऐसी हालत हमसे देखी नहीं जाती.

दोस्त 2 – क्यों न हम इसे किसी हॉस्पिटल में एडमिट कर दे? यहाँ की दवा से इसका बुखार उतरने का नाम नहीं ले रहा है.

अजय – तू शायद सही बोल रहा है.

संजय (बडबडाते हुए) – खुश्बू!... खुश्बू!... खुश्बू!...

अजय – संजय! मेरे दोस्त बोल!

संजय - खुश्बू!...

अजय – खुश्बू! कौन है ये? संजय ये कौन है? बोल! तूने इससे पहले कभी ये नाम नहीं लिया. देखे हमें लगता है तुझे तेज बुखार के चलते तू ऐसे बडबडा रहा है, हम तुझे हॉस्पिटल ले चलते हैं.

संजय – अजय, एक बार मुझे खुश्बू!... से मिलवा दे. प्लीज यार... प्लीज!

संजय की आँखों से आँसू बह रहे थे, अजय संजय के आँसू पोंछते हुए उसे बिस्तर पर लेटा देता है. बिस्तर पर लेटा संजय अपनी आँखे बंद कर दोबारा नींद लेने लगता है.

दोस्त 2 – अजय हमें खुश्बू के बारे में पता लगाना होगा.

अजय – तू सही बोल रहा है? रोहन तू ऐसा कर संजय के बैग में देख शायद हमें कुछ ऐसा मिल जाए, जिसकी मदद से हम खुश्बू तक पहुच जाए.

रोहन कमरे में रखे संजय के बैग को खोल कर सर्च करते हैं और उन्हें एक और डायरी मिलती है. रोहन उस डायरी के पन्ने को खोलता है, सभी डायरी के खुलते आस्चर्य चकित हो जाते हैं, डायरी के हर पन्ने पर एक सुंदर लड़की की तस्वीर बनी होती है और उस तस्वीर के नीचे खुश्बू नाम लिखा होता है.

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अजय और रोहन दोनों हॉस्टल से बहार आते हैं. अजय पार्क में खड़ी मोटर साइकिल की स्टार्ट करता है और रोहन उस पीछे वाली सीट पर बैठकर, दोनों हॉस्टल से बहार निकल जाते हैं.

सड़क पर चलती हुयी मोटर साइकिल पर-

रोहन – अजय यार हम जा कहाँ रहे हैं.

अजय – संजय के गाँव!

रोहन – संजय के गाँव क्यों? ओ तो यहाँ से 200 किलो मीटर.

अजय – हाँ हमें संजय के गाँव ही जाना है. खुश्बू कौन है, इस बात का पता हमें वहीँ से चल सकेगा.

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सड़क किनारे लगे पत्थर पर नारायणपुर लिखा होता है. अजय अपनी मोटर साइकिल वहीँ पर रोक देता है, एक बूढा व्यक्ति खेत में काम कर रहा होता है. दोनों मोटर साइकिल से नीचे उतर खेत में काम कर रहे बूढ़े के पास जाते हैं.

अजय – क्या आप बता सकते हैं, संजय इस गाँव में कहाँ रहता है?

बूढा व्यक्ति - कौन संजय? इस गाँव में कोई व्यक्ति संजय नाम का नहीं है.

अजय – यह गाँव नारायण पुर है?

बूढा व्यक्ति - हां यह गाँव नारायण पुर ही है, पर संजय नाम का कोई नहीं.

अजय – अच्छा रोहन संजय की ओर डायरी देना.

रोहन अपने कंधे पर टंगे बैग से निकालकर डायरी अजय को देता है. अजय उस डायरी के पन्नो को खोलकर उन गाँव वालो को दिखाता है.

अजय – अब आप इस लड़की को जरूर जानते होंगे.

गाँव का व्यक्ति – ये तो खुश्बू है!

रोहन – आप हमें इस लड़की का पता बता दो. बाकी हम देख लेंगे.

बूढा व्यक्ति - यहाँ से भाग जाओ, अगर अपनी जान की सलामती चाहते हो तो. वर्ना यहाँ से जिन्दा नहीं जा सकते.

संजय – आप हमें डराने की कोशिश कर रहे हैं? हम डरने वाले में से नहीं हैं.

बूढा व्यक्ति - तो ठीक है, इस लड़की की हकीकत सुनना चाहते हो तो सुनो ये. ये लड़की यहाँ के ठाकुर वीरभद्र की है. लेकिन इस लड़की ने आज से बीस साल पहले एक दलित लडके से शादी कर ली. जिसका नाम संजय था.

अजय और रोहन दोनों गाँव का एक बूढ़े व्यक्ति से संजय का नाम सुनते ही चौक जाते हैं.

अजय – एक मिनट काका! आपने आप ने अभी कहा ये लड़की खुश्बू संजय नाम के लडके से प्यार करती थी. ओ भी बीस साल पहले.

बूढा व्यक्ति - हाँ बेटा, और जब ठाकुर वीरभद्र को ये पता चला की उनकी लड़की एक दलित लडके से प्यार करती है, तो उन दोनों को उन्होंने दिनदहाड़े गोली मार कर ह्त्या कर दी थी. और यहीं के जंगल में दफना दिया था.

अजय – आप कैसा मज़ाक कर रहे हो? संजय अभी जिन्दा है और वह हमारे साथ हॉस्टल रहकर पढ़ाई करता है. रोहन तू अपने मोबाइल पर संजय की तस्वीर इन लोगो को दिखाना.

रोहन अपने जेब से मोबाइल निकाल कर तस्वीर सर्च करता है और उस तस्वीर को उन गाँव वालो को दिखता है.

बूढा व्यक्ति - हाँ यही संजय है! लेकिन ये मर चूका है, ओ भी आज से बीस साल पहले.

रोहन – काका आपकी बताई कहानी पूरी फ़िल्मी लग रही है. हमें नहीं लगता ऐसा कुछ हुआ होगा.

अजय – चलिए हम एक बार आपकी बातो पर यकीन कर लेते हैं, पर गाँव में संजय के माँ बाप तो होंगे.

बूढा व्यक्ति - अब कोई नहीं बचा, इकलौते जवान बेटे के मरने के गम में उसके माँ-बाप ने भी दम तोड़ दिया. बेटा हम अपने घर जा रहे हैं और तुम दोनों भी यहाँ से चले जाओ. वर्ना तुम दोनों को यहाँ पर मुसीबत हो सकती है.

बूढा व्यक्ति वहाँ से चला जाता है.

रोहन – ये कैसे सच हो सकता है.

अजय – नहीं, इनकी बातो से कहीं न कहीं सच्चाई नजर आ रही है. लेकिन एक बात समझ में नहीं आ रही जब संजय बीस साल पहले मर चूका है तो इस वक़्त हॉस्टल में हमारे साथ कौन है.

रोहन – हमें दोबारा यहाँ से हॉस्टल चलना चाहिए.

रोहन और अजय जैसे ही लौटने लगते हैं. इन दोनों के पीछे से एक लड़की के हसने की आवाज आती है. रोहन और अजय तुरंत पलटकर पीछे देखते हैं. उनके सामने खुश्बू खड़ी होती है. अजय और रोहन दोनों एक टक उसकी तरफ देखते ही रहते हैं. रोहन के आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता है.

रोहन – भूत... भूत!

अजय रोहन के गाल पर एक जोर का चाटा मरता है.

अजय – शांत हो जा! ये कोई भूत नहीं हकीकत है. (खुश्बू की तरफ देखते हुए) तुम खुश्बू हो न?

खुश्बू और जोर से हंसती है.

खुश्बू – हाँ मैं ही खुश्बू हूँ.

अजय – हम तुम्हे ही खोज रहे थे.

खुश्बू – मुझे पता है.

अजय – तो तुम्हे ये भी पता होगा की तुम्हारी याद में संजय बिमारी से तड़प रहा है. बस उससे एक बार मिल लो.

रोहन – हाँ, तुम एक बार हमारे साथ चल कर संजय से मिल लो, ओ जल्दी ठीक हो जाएगा.

खुश्बू – संजय तो यहीं.

अजय और रोहन – क्या?

खुश्बू – संजय यही हैं, ओ देखो आ रहा है.

खेतो के बीच से होता हुआ संजय खुश्बू के पास आता है.

अजय – अरे संजय तू यहाँ कैसे? कल रात तक तो तू हॉस्टल में था और आज अचानक यहाँ कैसे?

संजय और खुश्बू दोनों एक साथ हँसते हैं. उसी वक़्त सड़क पर जा रहा व्यक्ति का मोटर साइकिल का टायर धमाके के साथ ब्लास्ट हो जाता है. झट से संजय और अजय दोनों मुड़कर सड़क की ओर उस मोटर साइकिल को देखते हैं. मोटर साइकिल से उतर कर वह व्यक्ति, अपनी मोटर साइकिल ठीक करने लगता है.

रोहन – क्या हुआ होगा?

अजय – लगता है टायर ब्लास्ट हो गया.

मोटर साइकिल वाले व्यक्ति की नजर अजय और रोहन पर पड़ती है.

व्यक्ति – आप तुम दोनों हो कौन? और इस सुनसान जगह पर क्या कर रहे हो?

अजय – हम यहाँ इसी गाँव के रहने वाले दो प्रेमी जोड़े से मिलने आयें हैं.

रोहन – खुश्बू और संजय से!

व्यक्ति – क्या? खुश्बू और संजय? उनको मरे तो बीस साल बीत गए. और उनकी आत्मा इस जगल में भटकती रहती है.

अजय और रोहन दोनों हँसते हैं.

अजय – आप पागल हो क्या? ये दोनों तो यहीं हमारे सामने बैठे हैं.

अजय अपने पीछे मुड़कर देखता है. पीछे कोई नहीं होता है.

अजय – अरे कहाँ गए ये दोनों?

रोहन – हाँ दोनों अभी तो यहीं थे?

व्यक्ति – लगता है तुम दोनों ने खुश्बू और संजय का भूत देखा है. और अपनी सलामती चाहते होतो यहाँ से चले जाओ. जिस जगह पर तुम दोनों खड़े हो वहीँ पर ठाकुर ने उन दोनों को दफना दिया था.

अजय और रोहन झट से पीछे मुड़कर देखते हैं, वहाँ पर कोई नहीं होता है. अजय और रोहन दोनों का सर चकरा कर जमीं पर बेहोस गिर जाते हैं.

Cut to-

एक सूनसान और हल्की रोशनी वाले कमरे में स्त्रचेर पर अजय और रोहन दोनों बेहोशी हालत में होते हैं और उन दोनों के सामने खुश्बू और संजय खड़े होकर अपने-अपने हाथो में खून से भरी बोतल लिए रहते हैं. अजय और मोहन दोनों बेहोशी हालत में अपनी अपनी एक आंखे खोल कर उन खुश्बू और अजय को देखते हैं और दोबारा बेहोश हो जाते हैं.

समाप्त -

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1 टिप्पणियाँ
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  1. www.gshinefilm.com sir ham log aapki shrt filme shot karne ja rahe hai aap story par ham kaam kar rahe han aapki anomati he jesa aapki said par likha he
    8791989109

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